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मई, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फेसबुक पर तरह तरह की स्माइली लगाने के कोड

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इन कोड की सहायता से आप फेसबुक पर चेटिंग के दौरान चिहन लगा सकते है.

गूगल की कुछ मजेदार ट्रिक्स

गूगल की कुछ मजेदार ट्रिक्स गूगल.कॉम खोले. सर्च बॉक्स में सर्च लिखे.

फेसबुक के शोर्टकट्स

ब्लॉगर साथियों, फेसबुक के तो आप शोकीन होंगे ही. इस पर भी आप शोर्टकट्स उपयोग कर सकते है. पेश है कुछ शोर्टकट्स-

ताजमहल का टूर बिना खर्चे के

दोस्तों, ताजमहल को देखने की तमन्ना किस के मन में नहीं है, अगर आप भी ताजमहल देखना चाहते है लेकिन वक्त नहीं होने के कारण नहीं जा पा रहे है

वर्चुअल पिआनो ऑनलाइन

दोस्तों, अगर आपको भी पिआनो बजाने का शौक है और मेरी तरह खर्चा नहीं उठा पा रहे तो परेशान मत होईये.

फेसबुक के लिए डेस्कटॉप मेसेंजर

गूगल टॉक जिस प्रकार से डेस्कटॉप पर बातचीत की सुविधा देता है उसी प्रकार यह मेसेंजर भी फेसबुक के लिए यही सुविधा प्रदान करता है.

तकनीक से सम्बंधित जानकारियाँ आज से

दोस्तों, आज से इस चिट्ठे पर तकनीकी से संबंधित जानकारियां भी प्रकाशित की जाएगी। नवीन जी से अनुरोध करके इस चिट्ठे को हिंदी तकनीक समूह में जोड़ने का कहा है।

नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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भ्रूण हत्या विरोधी पोस्टर

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दहेज विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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मृत्युभोज विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा व अनमेल विवाह रोकें

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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बाल विवाह

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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नशा विरोधी पोस्टर

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शराब जहरीली नागिन है।

एमपी३ प्लेयर के संबंध में

आप अपने लिए एक बढ़िया-सा नन्हा सा पोर्टेबल, पर्सनल एमपी३ प्लेयर ख़रीदना चाहते हैं? या ख़रीद चुके हैं? आइए, आज आपको कुछ युक्तियाँ बताते हैं ताकि आपकी ख़रीद बढ़िया हो और अगर आप ख़रीद चुके हों तो आप अपने प्लेयर का सर्वोत्तम इस्तेमाल कर सकें। पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर ख़रीदने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें- आईपॉड नाम सबको ललचाता है। परंतु उससे बेहतर ख़रीद एक दो नहीं, कई कई हैं। एमपी३ प्लेयर ऐसा ख़रीदें जिसमें बैटरी इनबिल्ट न हो। इनबिल्ट बैटरी युक्त प्लेयर में हो सकता है कि आप कोई बढ़िया-सी ग़ज़ल सुन रहे हों और उसके दूसरे शेर में बैटरी ख़त्म हो जाए और आस-पास उसे चार्ज करने का साधन भी न हो। बदली जा सकने वाली बैटरी युक्त सेट में कम से कम आप पाँच रुपए की बैटरी पास के पान दुकान या ड्रगस्टोर से ख़रीद कर काम तो चला ही सकते हैं। साथ ही, कोई भी रीचार्जेबल बैटरी अनंत काल तक रिचार्ज कर इस्तेमाल में नहीं ली जा सकती। अंतत: रीचार्जेबल बैटरी का भी नया सेट लेना ही पड़ता है। हार्डडिस्क युक्त एमपी३ प्लेयर कतई नहीं ख़रीदें। साल भर के भीतर ही फ्लैश मेमोरी कार्ड ३२ गी.बातक की क्षमता में मिलने लगेगा और सस्ता

हिंदी टूलबार

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  इंटरनेट पर हिंदी में लिखने और पढ़ने वालों के लिये बहुत ही काम का टूल है। इसमें आपको हिंदी की सभी साइट्स के लिंक मिलते है इसके अलावा चिट्ठा-खोज, हिंदी लिखने में सहायता, एक क्लिक पर नारद, परिचर्चा और चिट्ठा-चर्चा, सभी हिंदी पत्रिकाओं के लिंक, सभी हिंदी के लिंक, एग्रीगेटरों के लिंक, क्रिकेट का स्कोर-कार्ड, ऑनलाइन रेडियो, पॉप अप ब्लॉकर, ईमेल नोटिफायर, गूगल समाचार और नारद के आर एस एस लाइव फ़ीड, गूगल पेज रेंक, बुक-मार्क करने की सुविधा, कुछ चिट्ठों के लिंक, बहुत से गजेट्स जैसे कि आपके शहर का मौसम और लाइव टीवी भी शामिल हैं। अभी तक इस टूलबार की एक हजार से भी अधिक प्रतियां डाउनलोड हो चुकी हैं।   आइए इस टूलबार के बारे में विस्तार से जानते हैं। सर्च   : इसमें सामान्य गूगल सर्च के अतिरिक्त छवि, समाचार, स्टॉक और मौसम की खोज तो है ही, चिट्ठा-खोज में आप सभी एग्रीगेटरों से भी सीधे सर्च कर सकते हैं। यानी जो कुछ भी आप चिट्ठा-खोज पर सर्च करते हैं वह केवल नारद, हिंदी-ब्लॉग्स, चिट्ठा-जगत और ब्लॉग-वाणी से सर्च होगा। हिंदी लिखें : इस बटन में कुशिनारा टूल का लिंक दिया गया है। इसे क्लिक करते ही आप जिस भी साइ

भोलाराम का जीव

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ऐसा कभी नहीं हुआ था। धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान ‘अलॉट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर पर रजिस्टर देख रहे थे। गलती पकड़ में ही नहीं आ रही थी। आखिर उन्होंने खीझ कर रजिस्टर इतने जोर से बन्द किया कि मक्खी चपेट में आ गई। उसे निकालते हुए वे बोले - "महाराज, रिकार्ड सब ठीक है।

दो बैलों की कथा

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जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता हैं । हम जब किसी आदमी को पल्ले दरजे का बेवकूफ कहना चाहता हैं तो उसे गधा कहते हैं । गधा सचमुच बेवकूफ हैं, या उसके सीधेपन, उसकी मिरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी हैं, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता । गायें सींग मारती हैं, ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती हैं । कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर हैं, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ जाता हैं, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना । जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दुखायी देरी । वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो, पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा । उसके चहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता हैं । सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में बदलते नहीं देखा । ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गये है, पर आदमी उसे बेवकूफ कहता हैं । सद् गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा । कदाचित् सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं हैं । देखिये न, भारतवासियों की अफ्रीका में

पूस की रात

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हल्कू ने आकर स्त्री से कहा-- सहना आया है । लाओं, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली-तीन ही रुपये हैं, दे दोगे तो कम्मल कहॉँ से आवेगा? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी ? उससे कह दो, फसल पर दे देंगें। अभी नहीं । हल्कू एक क्षण अनिशिचत दशा में खड़ा रहा । पूस सिर पर आ गया, कम्बल के बिना हार मे रात को वह किसी तरह सो नहीं सकता। मगर सहना मानेगा नहीं, घुड़कियाँ जमावेगा, गालियॉं देगा। बला से जाड़ों मे मरेंगे, बला तो सिर से टल जाएगी । यह सोचता हुआ वह अपना भारी-भरकम डील लिए हुए (जो उसके नाम को झूठ सिध्द करता था ) स्त्री के समीप आ गया और खुशामद करके बोला-दे दे, गला तो छूटे ।कम्मल के लिए कोई दूसरा उपाय सोचूंगा । मुन्नी उसके पास से दूर हट गई और ऑंखें तरेरती हुई बोली-कर चुके दूसरा उपाय! जरा सुनूँ तो कौन-सा उपाय करोगे ? कोई खैरात दे देगा कम्मल ? न जान कितनी बाकी है, जों किसी तरह चुकने ही नहीं आती । मैं कहती हूं, तुम क्यों नहीं खेती छोड़ देते ? मर-मर काम करों, उपज हो तो बाकी दे दो, चलो छुटटी हुई । बाकी चुकाने के लिए ही तो हमारा

ठाकुर का कुआँ

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जोखू ने लोटा मुंह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आई । गंगी से बोला-यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सडा पानी पिलाए देती है ! गंगी प्रतिदिन शाम पानी भर लिया करती थी । कुआं दूर था, बार-बार जाना मुश्किल था । कल वह पानी लायी, तो उसमें बू बिलकुल न थी, आज पानी में बदबू कैसी ! लोटा नाक से लगाया, तो सचमुच बदबू थी । जरुर कोई जानवर कुएं में गिरकर मर गया होगा, मगर दूसरा पानी आवे कहां से? ठाकुर के कुंए पर कौन चढ़नें देगा ? दूर से लोग डॉँट बताऍगे । साहू का कुऑं गॉँव के उस सिरे पर है, परन्तु वहॉं कौन पानी भरने देगा ? कोई कुऑं गॉँव में नहीं है। जोखू कई दिन से बीमार हैं । कुछ देर तक तो प्यास रोके चुप पड़ा रहा, फिर बोला-अब तो मारे प्यास के रहा नहीं जाता । ला, थोड़ा पानी नाक बंद करके पी लूं । गंगी ने पानी न दिया । खराब पानी से बीमारी बढ़ जाएगी इतना जानती थी, परंतु यह न जानती थी कि पानी को उबाल देने से उसकी खराबी जाती रहती हैं । बोली-यह पानी कैसे पियोंगे ? न जाने कौन जानवर मरा हैं। कुऍ से मै दूसरा पानी लाए देती हूँ। जोखू ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा

पुष्प की अभिलाषा

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चाह नहीं मैं सुरबाला के   गहनों में गूथा जाऊँ   चाह नहीं प्रेमी माला में   बिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं सम्राटों के   शव पर हे हरि डाला जाऊँ   चाह नहीं देवों के सिर पर   चढूँ भाग्य पर इतराऊँ मुझे तोड़ लेना बनमाली   उस पथ पर तुम देना फेंक   मातृभूमि पर शीश चढ़ाने   जिस पथ जाएँ वीर अनेक

झाँसी की रानी

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सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार। महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह